चचेरी बहन की चुत चुदाई का मजा

विलेज Xxx कहानी मेरे चाचा की 18 साल की बेटी की चुदाई की है. वह एक बार किसी लड़के के साथ सेक्स करती पकड़ी गयी तो मैं भी उसे चोदने की सोचने लगा.

दोस्तो, मेरा नाम जय है और मैं बिहार के एक गांव में रहता हूँ.
मैं 21 साल का हूँ और गांव में खेती करके अपना काम चलाता हूँ.

सबसे पहले मैं अपने घर के लोगों का परिचय दे देता हूँ.

मेरे घर में मैं अकेला रहता हूँ, मेरे पेरेंट्स नहीं हैं, लेकिन मेरे चाचा-चाची हैं.
वे अलग मकान में रहते हैं और मैं बाजू के हिस्से में अकेला रहता हूँ.

मेरे चाचा के तीन बच्चे हैं, जिनमें दो लड़कियां और एक लड़का है.

बड़ी लड़की का नाम काजल है और छोटी का नाम पायल.
काजल 18 साल की है. तो ये कहानी मेरी और काजल की चुदाई की विलेज Xxx कहानी है.

चाचा की बड़ी लड़की काजल मुझसे बहुत डरती है. अगर मैं कुछ भी करने को बोल दूँ, तो वह बिना देरी किए कर देती है.

मुझे वह बहुत अच्छी लगती है पर बहन होने के कारण मैंने कभी उसे छूने की नहीं सोची थी.

लेकिन आज से कुछ महीने पहले वह किसी लड़के के साथ सेक्स करते वक्त पकड़ी गई थी, तब से मेरे मन में उसके लिए कामुक विचार आने लगे थे.

किसी लड़के के साथ उसके सेक्स करने की बात गांव में लगभग सबको पता चल चुकी थी मगर मेरे कारण कोई किसी से कुछ नहीं बोलता था.

मैंने एक दिन काजल को समझाया कि तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए.

उसने सिर हिलाकर हां में जवाब दिया, मगर मुँह से कुछ नहीं बोली.

फिर गांव में ऐसे ही कुछ महीने बीत गए.

एक दिन मैंने काजल को उस वक्त देखा, जब वह कुछ उठाने के लिए झुकी.

उसके झुकने से मुझे उसके दोनों गोरे दूध दिख गए.

वह नजारा बड़ा ही कामुक था तो मेरे पैंट के अन्दर हलचल होने लगी.
जब मैंने अपनी पैंट की तरफ देखा, तो उसमें तंबू तना हुआ था!

बस उसी दिन से ना जाने क्यों, मेरा अपनी बहन को छूने का मन करने लगा.

पहले मैं चाचा के घर इतना नहीं जाता था, मगर जब से मैंने उसके बूब्स देखे, तब से मैं रोज उनके घर जाने लगा.

मैं काजल के पास ज्यादा से ज्यादा टाइम बिताने लगा.
मैं बस यही सोचता रहता था कि कैसे मैं इसे छूँ लूँ!

कुछ दिनों बाद वह दिन भी आ गया, जब मैंने उसे छुआ!

दरअसल, मैंने आपको बताया नहीं कि मेरे चाचा साल में ग्यारह महीने दूसरे स्टेट में काम करने के लिए रहते हैं.

इसका मतलब यह है कि वे पूरे साल में सिर्फ एक महीना ही घर पर रहते हैं.

हुआ यूँ कि चाचा की तबीयत बहुत खराब हो गई.

उन्होंने फोन करके कहा- मैं गांव नहीं आ सकता. तुम चाची को मेरे पास छोड़ जाओ.

यह कह कर उन्होंने चाची को अपनी देखभाल के लिए शहर बुला लिया.
अगले दिन मैंने चाची को चाचा के पास भेजने की तैयारी कर दी और वे चली गईं.

जब चाची उनके पास पहुँच गईं तो चाचा ने मुझे फोन करके कहा- तुम्हारी चाची मेरे पास रहने आ गई हैं, अब घर पर बच्चों के पास कोई बड़ा नहीं है. तुम जरा बच्चों का ध्यान रखना और हो सके तो कुछ दिन मेरे घर पर ही रुक जाओ, तुम रात में भी उनके पास ही सो जाया करो!
मैंने हामी भर दी.

चाचा के घर के बाहर एक छोटा सा रूम जैसा है.
गर्मी के समय वहां सोने में कोई दिक्कत नहीं होती.

अब मैं रोज शाम को उनके घर खाना खाता था और वहीं सो जाता था.

आंगन में एक कोने में रूम जैसा बना हुआ था, मगर बारिश में ऊपर से पानी टपकता था.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.

एक रात को 12 बजे बारिश शुरू हो गई.
उस वक्त बारिश बहुत जोर से हुई और सुबह तक चली!

जब बारिश तेज हुई, तो मैंने काजल को जगाया.
वह जल्दी से सारा सामान घर के अन्दर रखने लगी.

सब सामान जो पानी से खराब हो सकता था, उस सब सामान को वह अन्दर ले आई.

चाचा के घर में दो कमरे हैं.
एक में ब.च्चे सोते हैं और एक में चाचा-चाची.

हुआ यूँ कि जहां ब.च्चे सोते हैं, उस रूम में सारा सामान रख दिया गया.

काजल और उसके दो भाई-बहन जहां सोए थे, उतनी ही जगह बची थी.

अभी तक वह दोनों नहीं जागे थे. वे छोटे थे, इसलिए आराम से सो रहे थे.

अब काजल बोली- आप दूसरे कमरे में सो जाओ.

मैंने कहा- ठीक है.
लेकिन मैंने देखा कि जहां वह पहले सोई थी, वहां सारा सामान रख दिया था.

मैंने उससे कहा- तुम भी उसी रूम में चलो, यहां तो जगह है ही नहीं!

उसने कुछ देर सोचा, लेकिन वह करती भी क्या. उस रूम में कहीं भी जगह नहीं थी.

बगल के रूम में ताला लगा था. सारा सामान उसी में रखना पड़ा.

अब काजल ने रूम की चाबी ली और उस रूम को खोला.

उसके बाद उसने आवाज़ दी. मैं रूम के अन्दर गया. वहां बहुत बड़ा पलंग था. उस पर काजल और मैं सो गए.

लगभग 20 मिनट बाद बादल गरजने लगे, बहुत जोर-जोर से बिजली कड़कने लगी.

काजल को बिजली कड़कने से बहुत डर लगता है. उसने मेरी तरफ आकर मुझसे चिपक कर सोना शुरू कर दिया.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- बिजली से डर लग रहा है!

मैंने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं! सो जाओ!

अब मैं सोचने लगा कि आज मौका है कुछ करने का!

मैंने उससे बात शुरू कर दी.

बातों-बातों में मैंने पूछा- तुम्हारा उस लड़के के साथ कितने दिनों से चल रहा था?

वह थोड़ा डर गई.
उसे लगा मैं उसे डाँटूँगा.

मैंने फिर पूछा- बोलो!
उसने कहा- दो साल से!

मैंने कहा- इतने दिन से … कोई ने पकड़ा नहीं तुम लोगों को ये सब करते हुए?

वह कुछ नहीं बोली.
मैंने फिर से पूछा- इतने साल में तुमने कितने बार वह सब किया?

वह समझ गई कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ.

वह कुछ नहीं बोली.
मैंने उसके सिर पर हल्के से हाथ मारा.

तब उसने कहा- तीन बार कर लिया था! चौथी बार में पकड़े गए!

मैंने पूछा- अच्छा, अब भी बात होती है उसके साथ?
उसने कहा- नहीं! वह लड़का आपके गुस्से से बहुत डर गया था और मैं भी. इसलिए अब बात नहीं होती!

इतना कहने के बाद वह सोने लगी.
मैं भी सोने लगा.

लगभग 40 मिनट बाद मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था!

फिर मैं धीरे-धीरे नीचे की तरफ हाथ ले जाने लगा.

मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया.
वह अभी भी जागी हुई थी.

जैसे ही मैंने पैंटी में हाथ डाला, वह काँप रही थी, मगर कुछ बोल नहीं रही थी.

वह मुझसे बहुत डरती थी.
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.

वह दूसरी तरफ करवट लेकर सोई थी.
मैंने उसे एक हाथ से सीधा किया.

वह चुपचाप थी, कुछ नहीं बोल रही थी.

लाइट ऑफ थी, तो कुछ दिख भी नहीं रहा था.

मैं लुंगी में था.
मैंने लुंगी हटा दी.

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया.

मैं जरा हेल्दी हूँ और वह थोड़ी पतली है. हाइट में भी वह बहुत छोटी है, मगर 18 साल से ज्यादा की है.

जैसे ही मैं उसके ऊपर चढ़ा, वह मेरे वजन से थोड़ा दब गई.

उसकी सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी.

उसकी नाक से कुछ अलग सी आवाज़ आ रही थी.

मैंने पहले ही लुंगी हटा दी थी.
रात को मैं नीचे कुछ नहीं पहनता, आज भी नहीं पहना था!

अब मैंने एक हाथ से उसकी पैंटी नीचे की.

मैंने उसके चूत को ऊपर से सहलाना शुरू किया. साथ ही उसके होंठों को चूमने लगा.
वह चुपचाप थी, कुछ नहीं बोल रही थी.

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसकी जांघों के बीच में घुसा दिया.

मैंने आगे-पीछे करना शुरू किया.
थोड़ा मज़ा आया.

फिर मैंने उसके दोनों पैर फैलाए और अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया.

लंड चुत में पूरा अन्दर चला गया.
उसे थोड़ा सा दर्द हुआ.

वह पहले से चुदवा चुकी थी तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

कुछ देर तक मैंने आगे-पीछे किया.
वह थोड़ा-थोड़ा सिसकारी ले रही थी.

अचानक मेरे लंड को गर्मी महसूस हुई, तो समझ आ गया कि वह अब झड़ गई है.

वह चुपचाप निढाल पड़ी थी मगर मैं धक्का लगाए जा रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं भी ढीला हो गया.
हम दोनों चिपक कर सो गए.

सुबह हुई.
काजल नॉर्मल थी, मगर उसका शरीर दर्द कर रहा था क्योंकि मैं रात को उस पर चढ़ा था.

अगली रात जब मैं सोया, तो वह 11 बजे टॉयलेट जाने के लिए जागी.

गांव में लोग 9-10 बजे तक सो जाते हैं, आज भी सब सो गए थे.

टॉयलेट से आने के बाद उसने बगल का रूम खोलना शुरू किया.

मैंने देखा तो समझ गया कि यह आज भी मुझसे चुदाई करवाने वाली है!

मैंने ब.च्चों वाले रूम को बाहर से बंद किया.

फिर उस रूम में गया और देखा, तो वह बिस्तर पर 69 में घूमकर सोई थी.

मैं गया और उसकी गांड पर हाथ मारा.
वह पलटी और मुझे देखने लगी.

मैंने कहा- आज गांड मारूँगा!
वह कुछ नहीं बोली.

फिर मैंने पूछा- तेल है?
उसने कहा- हां है!
मैंने कहा- जा, सरसों का तेल ले आ!

वह लाई.

मैंने तेल साइड में रखा और उसे किस करने लगा.

वह मुझसे हाईट में छोटी थी, तो मैंने उसे पलंग पर बिठाकर किस करना शुरू किया.

किस करते-करते मैंने उसे लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.

पता नहीं कब मैंने किस करते-करते उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

हम दोनों कुछ ही मिनटों में शांत हो गए.

फिर मैंने कहा- जरा लंड को चूसो और खड़ा करो!
उसने वैसा ही किया.

जब लंड खड़ा हो गया, मैंने कहा- ऑयल से इसे पूरा नहला दो … और अपनी गांड पर भी थोड़ा ऑयल लगा दो!

ऐसा करने के बाद मैंने उसे पलंग पर झुका दिया.

मैंने गांड में लंड डालने की कोशिश की, मगर कोशिश नाकाम रही क्योंकि उसकी गांड बहुत टाइट थी.

मैंने हार नहीं मानी.

फिर मैंने उसे पेट के बल लेटा दिया और उसके पैर फैला दिए.

मैं भी उस पर लेट गया. मैंने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया.

हल्का दबाया, तो वह गांड इधर-उधर करने लगी, क्योंकि उसे दर्द हो रहा था.

मैंने उसे धक्का दिया. वह शांत हो गई.

मैंने फिर से तीर निशाने पर लिया और धक्का दिया.

लंड अन्दर जाने लगा, तो वह दर्द से ‘उन्ह-आह.’ करने लगी.

पूरा लंड अन्दर जाने के बाद मैं पेलता रहा.

उस दिन 30 मिनट बाद मैं शांत हो गया.

उसी रात चूत और गांड का खेल 4 बार हुआ!
वह कुनमुना कर अलग होकर लेट गई.

मैंने उसे अपनी बांहों में खींचा और उससे पूछा- मेरे लंड में ज्यादा मजा आया या अपने यार के लौड़े से ज्यादा मजा आता था?
वह चुप रही.

मैंने कहा- अपने यार से चुदवाने का जी करता है?
वह फट से बोली- नहीं!

मैंने कहा- क्यों? मेरा लंड ज्यादा बड़ा है क्या?
वह हल्के से हंस दी और मुंडी हां में हिलाती हुई मुस्कुराने लगी.

अब ऐसा विलेज Xxx रोज होने लगा.

एक महीने बाद चाची आ गईं, तो ये सब अभी बंद है.

मगर चाची फिर जाने वाली हैं क्योंकि चाचा को भी चाची के बिना रहा नहीं जा रहा है!
उनके जाते ही मैं अपनी बहन की चुत गांड को वापस पेलूँगा.

आपको मेरी विलेज Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.

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