मेरे गांव का पशु मेला और मां की चुदाई-1

मेरा नाम सोनू है। मेरी उम्र 19 साल और मैं अभी कॉलेज में पढ़ता हूं। मेरी मां का नाम सुनीता है। इनकी उम्र 40 साल है। दिखने में गोरी-चिट्टी खूबसूरत शरीर की मालकिन है।

यह कहानी 6 महीने पहले की है। मेरी मां बहुत ही आकर्षक और सुंदर है। सभी आस-पड़ोस के भैया लोग जो है, वह मेरी मम्मी के दीवाना है। वो मेरे दोस्त बनना चाहते है, और मेरी मम्मी के फिराक में रहते है।

मेरे पापा उस वक्त किसी दूसरे शहर में किसी कंपनी में काम करते थे, जिसकी वजह से पापा छह-छह महीने घर पर नहीं आते थे। घर पर मैं और मम्मी ही रहते थे। मेरे आस-पास के दो-तीन भैया लोग थे, जो मेरी मम्मी की हमेशा किसी ना किसी काम में मदद करते रहते थे। वह मुझसे मिलने के बहाने मेरी मम्मी से मिलने आते थे, और हंस-हंस कर बात करते थे। मम्मी भी उनसे खूब मजाक मस्ती करती थी, परंतु इससे ज्यादा वह कभी आगे नहीं बढ़ती थी।

उस वक्त मेरा एक दोस्त बना था। मेरे से दोगुना उम्र का था, लगभग 35 साल उम्र होगी।‌ गांव में लगने वाले जानवरों के मेले में वह मुझे मिला था। वह शायद किसी गांव से मेरे गांव में अपने जानवरों के व्यापार के लिए आता था। मुझे हर हफ्ते घुमाने के लिए ले जाता, और वहां पर मुझे चुदाई के दृश्य दिखाता था। वह मुझे मेला घुमाने के लिए ले जाता था।

धीरे-धीरे हम पक्के दोस्त बन गए, और जब भी मेला लगता मैं उसे जरूर मेले में ढूंढता था, और वह मुझे कहीं ना कहीं दिख जाता था। फिर हम दोनों खूब घूमते-फिरते और फिर वह मुझे चुदाई के कहीं ना कहीं दृश्य जरूर दिखा देता था।

हर हफ्ते गर्मी के मौसम में मेरे गांव में मेला लगता था, पशु मेला। जहां पर अलग-अलग जानवरों की खरीद-बिक्री होती थी, और उसके साथ-साथ जलेबी के दुकानें भी लगती थी। जहां से यह भैया मुझे जलेबी की खरीद कर खिलाते थे।

एक दिन उन्होंने मुझे मेले के अंतिम छोर पर बीच जंगल की ओर ले गए और बोले: चुपचाप चल, तुझे कुछ आज मज़ा कराता हूं।

वो मुझे ऊपर जंगल की ओर ले गए, और बोले: चुपचाप इस झाड़ी के अंदर देखना। मैं जैसे कहता हूं।

फिर वह अंदर झाड़ी के नीचे देखे और मुझे भी दिखाए। मैंने उस दिन पहली बार किसी की चुदाई देखी थी। मैं जानता था कि चुदाई क्या होती है पर देखा नहीं था। कई बार मैंने अपने दोस्तों को आपस में ही एक दूसरे के गांड मारते हुए और मजा करते हुए देखा सुना था। परंतु आज पहली बार अपने ही गांव की औरत को चुदते हुए देख रहा था?

वह औरत मेरे ही गांव की थी, और यह जो इसे चोद रहा था, मेले में शायद कोई व्यापारी था। ऐसे ही करते हुए राहुल भैया मुझे हर दिन किसी ना किसी की चुदाई दिखाते थे, जो मेरे ही गांव की औरत होती थी, और वह बोलते थे कि, “देख किस तरह तेरे गांव की औरतें जाकर उधर चुदवाती है।”

मैं यह सारे दृश्य देख कर उस वक्त बहुत मजा कर रहा था। राहुल भैया के साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं उनके साथ ही घूमता-फिरता और मेले में जाता। वह मुझे जलेबी भी खिलाते।

इसी तरह मुझे पता चला कि गांव की औरतें पैसे के चक्कर में अपनी चूत चुदवाती है यहां पर आए पशु व्यापारियों के साथ। फिर राहुल भैया से मेरी दोस्ती और गहरी हो गई। वह अब जलेबी मुझे खिलाने के साथ-साथ मुझे घर भी लाने को देते थे, और मैं वह जलेबी अपनी मम्मी को लेकर खिलाता था, और जब मम्मी पूछती तो बोल देता हैं कि राहुल भैया ने दिया है।

फिर मम्मी बोली: कौन है ये राहुल भैया, जो तुम्हें इतना मजा करा रहा है, जरा मुझे भी तो मिलवाओ एक दिन?

मैंने मम्मी से कहा: जरूर मम्मी, उनसे जाकर आज कहूंगा कि मम्मी आपसे मिलना चाहती है। आज तो वह खुद आपके पास आएंगे।

मम्मी मेरी बात सुन कर हंस पड़ी। शाम हो चुकी थी। मम्मी जाकर खाना बनाने लगी। हमारा गांव छोटा सा है जहां पर काफी गरीब परिवार रहते हैं। मेरा घर भी उन्हीं परिवारों में से एक है। परंतु पापा के बाहर कमाने की वजह से आज घर की स्थिति कुछ ठीक है। जिसकी वजह से मम्मी को बाहर नहीं जाना पड़ता। मम्मी बस मुझे पढ़ाती है, और घर का काम करती है।

एक दिन मैं मम्मी से राहुल भैया को मिलवाने के लिए उन्हें लाया। राहुल भैया अपने हाथ में 1 किलो जलेबी लेकर मम्मी के पास आये और मम्मी को देखते ही रह गए। मम्मी घर में ज्यादातर साड़ी ही पहनती है, जिसकी वजह से वह बहुत ही आकर्षक दिखती है। मम्मी को देखते ही राहुल भैया तो खड़े ही रह गए। मम्मी ने मुस्कुराते हुए उनसे कहा, “क्या हुआ, बस खड़े ही रहोगे या अंदर भी आओगे?”

छोटा सा घर था मेरा। मम्मी ने उन्हें बैठने को कुर्सी दी, और खुद उनके सामने बैठ गई और बोली,‌ “और बताइए, तो आप ही हैं जो मेरे बच्चे का इतना ख्याल रख रहे हैं?”

राहुल भैया ने मम्मी से हंसते हुए कहा: अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं। यह तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है। मैं इसके साथ बहुत मजा करता हूं, यह भी खूब आनंद लेता है।

फिर उस दिन राहुल भैया ने बताया कि वह अपने जानवरों के साथ दूसरे गाव से यहां पर आते थे, और उसकी खरीद-बिक्री कर शाम को वापस लौट जाते थे। राहुल भैया तो बार-बार मम्मी के चेहरे को ही देख रहे थे। वो मम्मी की बॉडी की बनावट को ही देख रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे मम्मी ने उन पर कोई जादू कर दिया हो।

फिर उस दिन थोड़ा बहुत मम्मी से हंसी-मजाक किया और उसके बाद रोज-रोज को आने लगे। मम्मी को भी उनकी बातों की अब आदत लग चुकी थी। वह भी हमेशा राहुल भैया को खोजती रहती थी।

कई दिन हो गए थे राहुल भैया ने मुझे अब कोई नया चुदाई वाली दृश्य नहीं दिखाए थे। मेरा भी मन कर रहा था कि देखूं। तब मैंने राहुल भैया से कहा कि, “चलो ना कहीं देखते हैं।”

तब उन्होंने कहा कि, “कहां जाओगे देखने? सब तो तुम्हारे ही गांव की है। देख लेना कभी भी।”

मैं थोड़ा नाराज होकर बैठ गया। तब उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और बोला कि, “यदि मैं तुम्हें यह सब दृश्य तुम्हारे ही घर में दिखाऊं तो?”

तब मैं थोड़ा स्तब्ध हुआ और उनकी ओर देखने लगा।

फिर उन्होंने बोलना शुरू किया कि, “देखो तुम बुरा मत मानना, पर तुम्हारी मम्मी इन गांव की औरतों से सबसे खूबसूरत औरत है। यदि इनकी चुदाई देखोगे तो तुम्हें और किसी की देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”

मुझे बहुत गुस्सा आया कि वह मेरे मम्मी की के बारे मे बात कर रहे थे। “हां मेरी मम्मी खूबसूरत है, पर वह यह सब नहीं करती। भैया मम्मी के बारे में ऐसा मत बोलो, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।”

इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।

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